Thursday, May 14, 2015

नाभि के पास एक चंद्रमा



तुम्हारी नाभि के पास
एक चंद्रमा है काला...
उस अनंत सौन्दर्य की गरिमा में
मैं उसे छू कर
निर्वाण नही देना चाह्ता......
तब तक दृश्य बनाता रहूंगा
जब तक एक भी सांस का
आरोह-अवरोह भिन्न है.....
जब लयबद्ध हो जायेगी
सृष्टि
तुम्हारे अंतस के संगीत से....
जान लोगी मेरा अज्ञात
और
पांव रख लोगी
मेरी गुफा में.....
तब
मैं प्रवेश करुंगा
तुम्हारी नाभि में..........................
श्री...........

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