Thursday, May 14, 2015

रिक्तता

मैं .......
रिक्त होता हूँ तुमसे
जब-जब तुम छलती हो मुझे....
जितनी बार रिक्त होता हूँ
उतनी बार 
एक नया रहस्य खुलता है तुम्हारा.....
क्यूं ना आज
सारा रहस्य पी लूं
तुम्हारी छोटी उंगली चूस कर
और भर दूं तुममे वो रहस्य
जो मैने छुपा रखा था
जब मैं केवल एक मनुष्य था.........
आओ....
फिर एक छलना करो मुझसे.....
और भर दो मुझे रिक्तता से
ताकि
मैं पी सकूं
तुम्हारी एक-एक बूंद.........

श्री......

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