shreekaya
Thursday, May 14, 2015
मेरा आध्यात्मिक प्रेमी
विराम
है समाप्त....
मेरे उष्मा केन्द्र
जाग्रत होना चाहते हैं तुमसे....
केवल तुमसे....
मेरा आध्यात्मिक प्रेमी
मुस्कुराता है
एक प्राचीन सत्य के साथ....
उसके भोग में
कोई अंश नही दुनिया का....
मैं भी
उसकी आत्मा के सीने पर
पैर रख
उतारती गयी....
अपनी
मासूमियत
तर्क
बिखराव
स्मृतियां
संबंध
और देह.......
बहुत समय बाद वो पूरे चांद की रात थी.......
श्री.........
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