Thursday, May 14, 2015

लाल रोशनी

अंबर का दरवाज़ा खुला.....
एक नीला तारा
मेरी जमी रातों की दहलीज़ पर उतरा.....
सोते अधखुले होंठों पर
धूप का गीला मौसम रख
रात भर
मुझे अपनी चादर में समेटता रहा.....
हथेलियां नम थीं
खोई रही दुआ मांगती.....
आंखें खुलतीं
तो देख पाती उस मुराद का चेहरा
मद्धम मद्धम जो घुल रहा था मुझमे....
उस रात सब लाल था....
लाल रात
लाल रोशनी
लाल बिस्तर
लाल अंगडाई
और......................

श्री.......

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