नमी ......
अपनी-अपनी लौटा दी....
सब प्रगाढ सम्बंध
वर्जनायें..... शिशुबोध के....
लौटा दिये.......
चेतनाओं के संदेहों के संदेश
अज्ञात को लौटा दिये....
मित्रवत सब सन्धियां देहों की
लौटा दी अपनी-अपनी
नमी में................
सोख लिया ताबूत सबसे थोडा-थोडा ....................
उड रहा है पंख फैलाए एक शोकगीत
ताबूत के ऊपर..........
सूखा अज्ञात चल रहा है शवयात्रा में.................
श्री...............
अपनी-अपनी लौटा दी....
सब प्रगाढ सम्बंध
वर्जनायें..... शिशुबोध के....
लौटा दिये.......
चेतनाओं के संदेहों के संदेश
अज्ञात को लौटा दिये....
मित्रवत सब सन्धियां देहों की
लौटा दी अपनी-अपनी
नमी में................
सोख लिया ताबूत सबसे थोडा-थोडा ....................
उड रहा है पंख फैलाए एक शोकगीत
ताबूत के ऊपर..........
सूखा अज्ञात चल रहा है शवयात्रा में.................
श्री...............
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